. ग्राम पंचायत पिपराझांपी में ठेके पर संचालित हो रही सरपंची, ग्रामवासियों ने की शिकायत

ग्राम पंचायत पिपराझांपी में ठेके पर संचालित हो रही सरपंची, ग्रामवासियों ने की शिकायत

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 ग्राम पंचायत पिपराझांपी में ठेके पर संचालित हो रही सरपंची, ग्रामवासियों ने की शिकायत


सिंगरौली: जनपद पंचायत वैढ़न के अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपराझांपी में सरपंची को लेकर गंभीर अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। ग्राम पंचायत की निर्वाचित सरपंच श्रीमती रंगीता खैरवार मात्र नाम मात्र की सरपंच बनी हुई हैं, जबकि पंचायत का वास्तविक संचालन एक अन्य व्यक्ति द्वारा किया जा रहा है। इस विषय को लेकर समस्त ग्रामवासियों ने कलेक्टर सिंगरौली से शिकायत दर्ज कराई है, जिसके आधार पर जिला पंचायत सीईओ को जांच के आदेश दिए गए हैं।


सरपंच के स्थान पर दलाल का संचालन


ग्रामवासियों का आरोप है कि सरपंच का कार्यभार एक दलाल के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन से लेकर भुगतान तक सभी कार्य उक्त दलाल के निर्देश पर किए जाते हैं, जबकि निर्वाचित सरपंच केवल कागजों पर हस्ताक्षर करने की भूमिका निभा रही हैं। यह स्थिति पंचायती राज अधिनियम के विपरीत है, जिसमें सरपंच को ही पंचायत का संचालन करना होता है।


निर्माण कार्यों में अनियमितताएँ


ग्राम पंचायत के विभिन्न निर्माण कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। नाली निर्माण के लिए 12 एमएम सरिया की खरीदी दिखाई गई है, जबकि वास्तव में निर्माण में 8 एमएम सरिया का उपयोग किया गया है, जिसके कारण नालियाँ कमजोर होकर टूटने लगी हैं। वहीं, सरपंच के घर के पास उच्च गुणवत्ता का निर्माण कार्य कराया गया है, जिसमें पंचायत की सामग्रियों का उपयोग किए जाने की भी आशंका जताई गई है।



फर्जी भुगतान का आरोप


ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक और सचिव के रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी भुगतान किए जाने की शिकायतें मिली हैं। इसके अतिरिक्त, कई ऐसे कार्यों के लिए भी ऊंचे दरों पर भुगतान किया गया है, जिनका अस्तित्व ही संदिग्ध है। ग्राम पंचायत में प्रिंटर उपलब्ध होने के बावजूद लाखों रुपये की फोटोकॉपी का भुगतान किया गया है, जो एक बड़ी वित्तीय अनियमितता की ओर इशारा करता है।


निर्वाचित पंचों का विरोध


ग्राम पंचायत के निर्वाचित पंचों ने भी इन अनियमितताओं के खिलाफ विरोध जताया है। उन्होंने कलेक्टर सिंगरौली को लिखित शिकायत सौंपकर जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि पंचायत में किसी भी कार्य को लेकर न तो उनकी राय ली जाती है और न ही बैठकों में प्रस्ताव रखा जाता है। सभी निर्णय कागजों पर लिए जाते हैं और वास्तविक बैठकें आयोजित नहीं की जाती हैं।


ग्रामवासियों को धमकाने के आरोप


ग्रामवासियों ने यह भी आरोप लगाया है कि सरपंच के पति द्वारा शिकायतकर्ताओं को एससी/एसटी अधिनियम के तहत झूठे मामले में फंसाने की धमकी दी जा रही है। इससे ग्रामवासियों में भय और आक्रोश व्याप्त है।


प्रशासनिक जांच के आदेश


ग्रामवासियों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर सिंगरौली ने जिला पंचायत सीईओ को मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। अब देखना यह होगा कि प्रशासनिक स्तर पर इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या दोषियों पर कोई ठोस कदम उठाया जाता है।


यदि जल्द ही निष्पक्ष जांच नहीं की जाती तो ग्रामवासी उच्च न्यायालय की शरण में जाने के लिए भी तैयार हैं।

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