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जय प्रताप सिंह: शिक्षा के मंदिर में सेवा की ज्योत, जन्मदिन पर विधवा बेटियों को मिला भविष्य का आश्वासन

 


जय प्रताप सिंह: शिक्षा के मंदिर में सेवा की ज्योत, जन्मदिन पर विधवा बेटियों को मिला भविष्य का आश्वासन


(रंजना वर्मा ब्यूरो ) 

बलिया।जिले में बंशी बाजार के समीप शिक्षा और सेवा को एक साथ जोड़ने वाले आर.एस.एस. गुरुकुल सीनियर सेकेंड्री अकादमी के प्रबंधक जय प्रताप सिंह 'गुड्डू जी' ने एक बार फिर समाज के लिए प्रेरणा का संदेश दिया। उनके जन्मदिन पर विद्यालय में आयोजित समारोह न केवल उल्लास का प्रतीक बने बल्कि समाज सेवा के प्रति उनके अटूट समर्पण का उदाहरण भी प्रस्तुत किया। इस दौरान विद्यालय की निदेशिका श्रीमती नीतू सिंह ने तिलक लगाकर लम्बी उम्र की ढेर सारी शुभकामनाएं दी।


शिक्षा के माध्यम से समाज निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की शुरुआत उस समय हुई जब उन्होंने कोविड-19 की राष्ट्रीय आपदा के दौरान 47,00,585 रुपये की शिक्षण शुल्क माफी करके क्षेत्र के बच्चों और उनके परिवारों को राहत प्रदान की। उनके इस अतुलनीय कार्य के लिए उप-जिलाधिकारी सिकंदरपुर, अभय कुमार सिंह ने उन्हें ‘कोरोना योद्धा’ के प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया। इस पत्र में उनके सकारात्मक दृष्टिकोण और मानव कल्याण की भावना को सराहा गया।


जन्मदिन समारोह में विद्यालय के छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर केक काटा और उन्हें ढेरों शुभकामनाएं दीं। बच्चों को मिठाई और कॉफी का वितरण किया गया, जिससे विद्यालय का वातावरण उत्सवमय हो गया। इस अवसर पर जय प्रताप सिंह ने कहा, “शिक्षा समाज में बदलाव लाने का सबसे बड़ा माध्यम है। हमारा विद्यालय शिक्षा के माध्यम से समाज को नई दिशा देने के लिए कृतसंकल्पित है।”



जय प्रताप सिंह ने अपने जन्मदिन पर एक नई पहल की घोषणा करते हुए कहा कि उन्होंने विधवा माताओं की पांच बेटियों को निशुल्क पढ़ाने का संकल्प लिया है। उन्होंने बताया, “यह मेरा नैतिक दायित्व है कि मैं उन बच्चों का सहारा बनूं जो शिक्षा के अभाव में अपने सपनों से दूर हो जाते हैं। हमारा विद्यालय पिछले कई वर्षों से 67 अनाथ और असहाय बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहा है। यह कार्य जारी रहेगा और इसे और विस्तार देने की कोशिश करूंगा।”


उनकी इस घोषणा ने क्षेत्र के लोगों को प्रभावित किया। अभिभावकों और छात्रों ने जय प्रताप सिंह की उदारता और समाज सेवा के प्रति उनकी लगन की सराहना की। एक छात्रा के अभिभावक ने कहा, “जय प्रताप सिंह जैसे लोग शिक्षा के मंदिरों को वाकई में प्रेरणा के केंद्र बनाते हैं। उनकी सोच ने न केवल बच्चों के जीवन को संवारा है बल्कि पूरे समाज को नई दिशा दी है।”


विद्यालय के शिक्षकों ने भी उनके इस प्रयास को सराहा। एक शिक्षक ने कहा, “जय प्रताप सिंह का जीवन और उनकी सोच हमारे लिए प्रेरणा है। वह शिक्षा को सिर्फ ज्ञान का साधन नहीं बल्कि समाज सेवा का माध्यम मानते हैं। उनके विचार और कार्य समाज के लिए मिसाल हैं।”


समारोह में उनके द्वारा लिए गए संकल्प ने यह साबित कर दिया कि शिक्षा केवल ज्ञान देने तक सीमित नहीं है बल्कि समाज के कमजोर वर्ग को मजबूती देने का सबसे सशक्त माध्यम है। जय प्रताप सिंह के प्रयासों ने शिक्षा और सेवा के मेल को साकार कर दिखाया है।


उनकी इस पहल और सामाजिक सेवा के प्रति उनके अडिग दृष्टिकोण ने उन्हें न केवल क्षेत्र में बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में भी एक आदर्श व्यक्ति बना दिया है।