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प्रशासन को जनसंघर्ष से जोड़ने वाला नेतृत्व : डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह

 प्रशासन को जनसंघर्ष से जोड़ने वाला नेतृत्व : डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह

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सिर्फ एक अफसर नहीं, जनविश्वास का पर्याय बन चुके हैं जिलाधिकारी धर्मेंद्र प्रताप सिंह


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शाहजहाँपुर। सरकारी सेवा का सामान्य ढांचा अक्सर नियमन, फाइलों और बैठकों की रुटीन से जुड़ा होता है, किंतु कुछ अधिकारी ऐसे होते हैं, जो नियमों में नवाचार, और दायित्वों में दृष्टिकोण जोड़ देते हैं। ऐसे ही अपने शाहजहांपुर के जिलाधिकारी हैं धर्मेंद्र प्रताप सिंह, जिनकी कार्यशैली में नीति से अधिक नियत, और योजनाओं से अधिक जनभावना का समावेश देखा गया है। जब वे 14 सितम्बर 2024 को शाहजहांपुर के जिलाधिकारी नियुक्त हुए, तब जनपद की स्थिति न तो विशेष चर्चा में थी और न ही कोई बड़ा सुधारवादी अभियान सामने था। मात्र कुछ ही महीनों में उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि यदि प्रशासक ईमानदार दृष्टि, निर्णायक इच्छाशक्ति और सामाजिक सरोकार से युक्त हो, तो सबसे जटिल समस्याएं भी समाधान का स्वरूप ले सकती हैं। धर्मेंद्र प्रताप सिंह का कार्य करना केवल आदेश देना नहीं, बल्कि जमीनी यथार्थ को पहचानना और उसमें हस्तक्षेप करना है। चाहे किसी निराश्रित महिला को तत्काल राशन कार्ड उपलब्ध कराना हो,

या एक साधारण अभ्यर्थी की कठिनाई को सुनकर छात्रावास की व्यवस्था कराना, इन सभी में उनकी तत्परता नहीं, संवेदनशीलता मुखर होती है। उनके निर्णय त्वरित होते हैं, किंतु उनमें कभी अधीरता नहीं होती। वे योजनाओं को लागू करते समय केवल फाइल की प्रगति नहीं देखते, बल्कि उसके सामाजिक प्रभाव का भी मूल्यांकन करते हैं। पारंपरिक सोच के विपरीत, उन्होंने नदी पुनर्जीवन को केवल एक पर्यावरणीय पहल नहीं माना, बल्कि इसे स्थानीय लोगों की चेतना, सहभागिता और भविष्य की चिंता से जोड़ते हुए कार्य आरंभ किया। 53 किलोमीटर की यह मृतप्राय जलधारा, जो कभी ग्रामीण जीवन की धुरी हुआ करती थी, अब प्रशासनिक संकल्प और सामाजिक सहभागिता की प्रेरक कथा बन गई है। नदी के पुनर्जीवन में उन्होंने भौगोलिक अध्ययन, प्रशासनिक समन्वय और जनसंवाद, तीनों को समान महत्व दिया। इस कार्य की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता यह रही कि यह शासन की योजना नहीं थी, बल्कि एक जिलाधिकारी की निजी पहल पर खड़ा हुआ जनांदोलन था। जहाँ आज की नौकरशाही अकसर स्थिति के अनुसार प्रतिक्रिया देती है, वहीं धर्मेंद्र प्रताप सिंह की शैली स्थिति से पूर्व सक्रियता पर आधारित है। वे समस्याओं का इंतजार नहीं करते, बल्कि संकेतों से समाधान की दिशा में बढ़ते हैं। उनकी कार्यशैली में सामाजिक न्याय, पारदर्शिता और दायित्वबोध का त्रिवेणी-संगम है।

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