दादरपुर, ब्लॉक – महेवा, जनपद इटावा में हुई घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना कुछ हद तक 20 मार्च 2013 को संतोषपुर, इटगांव में हुई घटना की याद दिलाती है

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 दादरपुर, ब्लॉक – महेवा, जनपद इटावा में हुई घटना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह घटना कुछ हद तक 20 मार्च 2013 को संतोषपुर, इटगांव में हुई घटना की याद दिलाती है। हालांकि, इन दोनों घटनाओं की प्रकृति में मूलभूत अंतर है।



संतोषपुर की घटना एक स्पष्ट रूप से जातिवादी मानसिकता का परिणाम थी, जबकि दादरपुर की घटना एक झूठ और फर्जी पहचान से उपजे जनाक्रोश का नतीजा है। फिर भी, किसी भी व्यक्ति के साथ मारपीट, अभद्रता या हिंसा को किसी भी परिस्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। ऐसी स्थिति में आयोजकों को कानून और प्रशासन की सहायता लेनी चाहिए थी।


घटना के बाद प्रशासन द्वारा दोषियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जा रही है, जो सराहनीय है। लेकिन इससे भी अधिक चिंता का विषय यह है कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक ऐसे व्यक्ति — जिसने अपनी असली पहचान छिपाकर (दो आधार कार्ड के साथ) ग्रामीणों को भ्रमित किया — को सार्वजनिक मंच से सम्मानित किया। यह न केवल निंदनीय है, बल्कि उनकी बार-बार उजागर होती ब्राह्मण-विरोधी मानसिकता का प्रतीक भी है। चाहे वह कन्नौज के नीरज मिश्रा हत्याकांड हो या अन्य घटनाएं, यह मानसिकता समय-समय पर सामने आती रही है।


यह भी उल्लेखनीय है कि दादरपुर गांव, जो इटावा जैसे जनपद में स्थित है, लगातार अधिक से अधिक मतदान भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में करता आया है। शायद यही कारण है कि समाजवादी शासनकाल में इस गांव को योजनाबद्ध तरीके से विकास से वंचित रखा गया — यहाँ तक कि एक सड़क तक केवल भाजपा सरकार में बन पाई।


आज जब प्रशासन ने दोषियों पर कार्रवाई की है और स्थिति सामान्य होने लगी थी, उसी समय समाजवादी पार्टी के लगभग 1000 समर्थकों और गुंडों द्वारा गांव पर हमला करने की कोशिश की गई। पुलिस पर पथराव किया गया, वाहनों को क्षतिग्रस्त किया गया और भय का माहौल पैदा करने का प्रयास हुआ — यह केवल राजनीतिक हिंसा नहीं, बल्कि सुनियोजित दहशतगर्दी है।


मैं स्वयं आज गांव पहुंचा, वहां के ग्रामीणों से मिला और स्थिति का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। गांव के लोगों में रोष तो है, लेकिन कानून में विश्वास भी है। उन्होंने संयम और एकता के साथ परिस्थिति का सामना किया है।


अखिलेश यादव का यह प्रयास केवल राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित नहीं है, बल्कि समाज की जातीय एकता को तोड़ने का एक खतरनाक प्रयास है। यह वैमनस्यता फैलाने की एक कुटिल राजनीति है जिसे मैं, एक भाजपा कार्यकर्ता और सामाजिक रूप से सजग नागरिक होने के नाते, कभी सफल नहीं होने दूंगा।


दोषियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। लेकिन यदि इस हिंसक और उकसावाद से प्रेरित माहौल में किसी भी निर्दोष ग्रामीण के साथ अन्याय हुआ, तो उसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।