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जलालाबाद #भूमि जल का दोहन कर रहे #आरओ प्लांट , #जितना खारा उतना ही पानी होता बर्बाद

 


#जलालाबाद #भूमि जल का दोहन कर रहे #आरओ प्लांट , 

#जितना खारा उतना ही पानी होता बर्बाद

#प्लांट संचालक जमा नहीं करते रायल्टी

 #रजिस्ट्रेशन के वगैर #जलालाबाद में चल रहे आरओ प्लांट  

 #भूगर्भ से जल का दोहन कर रहे हैं 

  कब होगी कार्यवाही???

#पानी में सोडियम, कैल्शियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम की मात्रा का होना जरूरी है। लेकिन, मिनरल के नाम पर बाजार में बिक रहे पानी में स्वास्थ्य के लिहाज से वांछित तत्व मौजूद नहीं है। इससे लोग गंभीर बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। लोग इसके प्रतिकूल प्रभावों से हैं अनजान,,

#जलालाबाद *प्रचंड गर्मी के बीच शुद्ध पेयजल की मांग जिले में एकाएक बढ़ गई है। शुद्ध पेयजल के नाम पर आरओ प्लांट के केन का पानी आमजन के घरों के साथ मांगलिक कार्यों में पहुंच रहा है। इस के पानी का उपयोग स्टेटस सिंबल बन गया है, लेकिन लोगों को यह पता चे नहीं कि वे जिस पानी को पी रहे हैं, उसके टीडीएस की मात्रा क्या है। वह उनके सेहत के लिए कितना नो ठीक है। वहीं, आरओ प्लांट संचालक खुलेआम भू जल दोहन कर रहे हैं। जो एक चिन्ता का विषय है।

प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को धता बताते हुए पानी के कारोबार से जुड़े लोग मिनरल वाटर के नाम पर न बेझिझक होकर पानी का दोहन कर रहे हैं और उसे धड़ल्ले से बेंच रहे

#पानी को शुद्ध करने में काफी पानी हो रहा बर्बाद#


#प्लांट संचालक जमा नहीं करते रायल्टी#

 पानी से भरे केन लेकर वाहन दिनभर नगर से लेकर देहात की सड़कों पर दौड़ते रहते हैं। हैरानी की बात यह कि इसे लेकर प्रशासन स्तर से कोई अभियान भी नहीं चलाया जाता है। नगर समेत पूरे नगर व आस पास गांव  में सड़क पर खुलेआम आरओ प्लांट का कारोबार सैकड़ों की संख्या में संचालित हो रहा है। तहसील क्षेत्र में इस पानी का लाखों का कारोबार होता है। लेकिन किसी के पास इस धंधे के

लिए लाइसेंस नहीं है। ऐसे कारोबारी राजस्व और प्रकृति को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। इनके पानी का कोई ब्रांड नहीं है, फिर भी केन वाले पानी की खूब मांग है। आरओ प्लांट में पूर्व में काम कर चुके एक कर्मचारी ने नाम न छापने की सख्त पर बताया कि धरती का सीना छेदकर सबमर्सिबल पंप के जरिए पानी निकाला जाता है और उसे आरओ सिस्टम से फिल्टर किया जाता है। हैरानी की बात यह कि इस पानी को शुद्ध करने में काफी पानी बर्बाद हो जाता है। क्योंकि जितना पानी खारा होता है उतना ही पानी बर्बाद होता है। इसके एवज में कहीं कोई रायल्टी भी जमा नहीं की जाती। बिना लाइसेंस के चल रहे पानी के कारोबार में सेल टैक्स भी दबा लिया जा रहा है। जबकि सरकार की तरफ से लाइसेंस के साथ आईएसआई संख्या प्राप्त करने की जरूरत होती है...!!


@हाइलाइट Follower Nitesh Katiyar संतोष उपाध्याय दैन