*वन विभाग के जालौन रेंन्ज के वन रेंन्जर द्वारा अवैध रूप से प्रतिबन्धित शीशम की लकड़ी को आरा मशीन पर बेचने का वीडियो हुआ मीडिया के कैमरे में कैद*
*पत्रकारों की टीम के तुरंन्त ही मौके पर आरा मशीन पर पहुंचने पर नहीं बिक सकी शीशम की सरकारी लकड़ी*
*जालौन रेंन्जर ने कहा ""मैं कोई बाईट नहीं दूंगा ।""*
*वर्तमान की योगी सरकार के वन विभाग ने एक और जहां यह नियम बना रखे हैं कि आप वन विभाग की अनुमति के बिना अपने घर के आंगन में खड़ा हुआ नीम का पेड़ भी नहीं काट सकते हैं ।यदि आपने वन विभाग की अनुमति के बिना अपने स्वयं के घर के आंगन में खड़ा हुआ नीम का पेड़ काटा तो समझो वन विभाग के इतने कानून हैं कि वह आप पर कहर ढा देंगे ।लेकिन वन विभाग के यह कानून केवल गरीब आम जनता के लिए बने हैं ।गरीब आम जनता का खून चूसने के लिए हैं । वन विभाग के सरकारी अधिकारियों के लिए वन विभाग के कोई कानून लागू नहीं हैं ।ताजा मामले में हम आपको बताते चलें कि अभी कुछ दिनों पहले तेज आंधी तूफान आने से जिले में कई जगह सड़क के किनारे खड़े हुए वन विभाग के सरकारी शीशम के पेड़ गिर गए थे । नियमानुसार उन सभी गिरे हुए सरकारी पेड़ों की लकड़ी को सरकारी पौधशाला में या सरकारी खजाने में जमा होना चाहिए ।लेकिन इसके विरीत जालौन रेंन्ज के वन रेंन्जर हरीकिशोर शुक्ला द्वारा उन सभी गिरे हुए शीशम के पेड़ों की लकड़ी को अवैध रूप से निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु ग्राम बस्तेपुर की आरा मशीन पर बेचने के लिए ले जाने का वीडियो मीडिया के कैमरे में कैद हो गया है । जैसे ही मीडिया के कैमरे को वन विभाग के सरकारी ट्रैक्टर के चालक ने देखा तो वह अपना मुंह साफी से ढांकने लगा ।वीडियो में साफ दिख रहा है कि यह ट्रैक्टर वन विभाग का सरकारी ट्रैक्टर है जिसकी नंम्बर प्लेट पर वन विभाग के कलर का लोगो पुता हुआ है ।ऊपर से इसका नंम्बर लिखा हुआ है ।इस ट्रैक्टर का नंम्बर UP92 G - 0259 है । इस ट्रैक्टर में जो ट्राली लगी हुई है ,उस ट्रॉली पर भी वन विभाग का सरकारी कलर पुता हुआ है और उसमें ""वन विभाग उत्तर प्रदेश सरकार ""लिखा भी है । इसी ट्रैक्टर - ट्राली में लाद करके शीशम के पेड़ की प्रतिबंन्धित लकड़ी बेचने के लिए बस्तेपुर की आरा मशीन पर गई थी ।लेकिन खोजी पत्रकार एवं मुखबिर पत्रकार की सटीक सूचना पर पत्रकारों की एक टीम तुरन्त ही भागते हुए इस सरकारी ट्रैक्टर के पीछे बस्तेपुर की आरा मशीन पर पहुंच गई।जहां पर यह शीशम की लकड़ी से लदा हुआ ट्रैक्टर पहुंच चुका था और लकड़ी आरा मशीन पर उतारने के लिए जैसे ही बैक हुआ तो मीडिया के कैमरे को देखकर के ट्रैक्टर के चालक राघवेन्द्र सिंह ने तुरंन्त ही अपना मुंह साफी से ढक लिया ।जब पत्रकार ने पूंछा कि यह लकड़ी कहां से आई है तो ट्रैक्टर चालक ने बताया कि यह लकड़ी जालौन रेंन्जर साहब ने भेजी है । लेकिन जब पत्रकार ने यह पूंछा कि यह लकड़ी इस आरा मशीन पर क्यों और किस लिए आई है ।तो ट्रैक्टर चालक ने इसका कोई जवाब नहीं दिया और ट्रैक्टर चालक ने मौके से भाग करके ,आरा मशीन के पीछे जाकर छुप करके जालौन रेंन्ज के रेंन्जर हरीकिशोर शुक्ला को फोन कर दिया कि साहब मीडिया की टीम यहां पर आ चुकी है और इस लकड़ी लदे हुए ट्रैक्टर ट्राली का वीडियो बन चुका है ।तो रेंन्जर ने तुरंन्त ही अपना पांसा पलट दिया और ड्राइवर से कहा कि इस लकड़ी को तुरंन्त ही नैनापुर पौधशाला ले जाओ ।जब पत्रकारों ने वहां आरा मशीन के कर्मचारियों से पूंछा कि यह आरा मशीन का मालिक कौन है तो वहां पर तैनात एक कर्मचारी ने बताया कि इस आरा मशीन के मालिक का नाम अशोक मिश्रा है जो कि ग्राम दहेलखंण्ड के निवासी हैं और वर्तमान में लखनऊ में रहते हैं ।जब पत्रकार ने उस कर्मचारी से अपना स्वयं का नाम पूंछा तो उसने अपना नाम ना बताते हुए कहा कि भाई आप अपने इस ट्रैक्टर ट्राली की लकड़ी को यहां से ले जाओ ।मुझे इस से कोई मतलब नहीं है ।रेंन्जर साहब ने यहां बेचने के लिए भेजी है,लेकिन यहां से ले जाओ । जब पत्रकार ने जालौन रेंन्ज के वन रेंन्जर हरीकिशोर शुक्ला से फोन पर जानकारी चाही कि साहब यह लकड़ी किसके आदेश से यहां पर बिकने के लिए आई हुई है ।तो मीडिया के कैमरे की खबर सुनकर के रेंन्जर साहब ने अपना यहां एक और दांव खेल दिया ।उन्होंने तुरन्त ही पत्रकार को बताया कि यह लकड़ी मैंने बस्तेपुर आरा मशीन पर नहीं भेजी है ।यह लकड़ी मैंने नैनापुर पौधशाला में भेजी है ,गल्ती से ड्राइवर बस्तेपुर की आरा मशीन पर लेकर के गया है ।जब पत्रकार ने कहा कि साहब इस लकड़ी को उतारने के लिए आपके ड्राइवर ने बैक करके ट्रैक्टर आरा मशीन पर लगा भी दिया था ।तो फिर ड्राइवर ने गल्ती से कैसे आरा मशीन पर ट्रैक्टर लाकर के खड़ा कर दिया है ।जब पत्रकार ने कहा कि हम आपके कार्यालय में आकर के आपकी बाईट वर्जन लेना चाहते हैं तो रेंन्जर ने किसी भी प्रकार की बाईट देने से साफ मना कर दिया और कहा मैं कोई बाईट नहीं दूंगा ।इसके बाद ट्रैक्टर चालक ने तुरंन्त ही ट्रैक्टर को नैनापुर पौधशाला की ओर बड़ी तेजी से रवाना कर दिया ।लेकिन पत्रकारों की टीम फिर से उस वन विभाग के सरकारी ट्रैक्टर की पीछे लग गई ।भागते हुए मौके पर फिर पहुंच गई और नैनापुर पौधशाला में जाकर के ही उस शीशम की लकड़ी को उतारा गया । लेकिन बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर मौके पर पत्रकारों की टीम ना पहुंची होती तो यह पूरी की पूरी शीशम की लकड़ी बस्तेपुर की आरा मशीन पर ही बिक चुकी होती । अब इसमें देखना यह है कि खबर चलने के बाद वन विभाग के जिले के डी०एफ०ओ० महोदय इस पर क्या कार्यवाही करते हैं या फिर जालौन रेंन्जर की इस करतूत को भ्रष्टाचार के पन्नों में छुपा लिया जाता है।*