निजी प्रेक्टिस और भ्रष्टाचार की परते खुलने के बाद भी जिला चिकित्सालयो में व्यवस्था के नाम पर कोई सुधार नहीं!!*

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निजी प्रेक्टिस और भ्रष्टाचार की परते खुलने के बाद भी जिला चिकित्सालयो में व्यवस्था के नाम पर कोई सुधार नहीं!!*


*शासन सत्ता नियम कानून भी दीमक रूपी भ्रष्टाचार के सामने बोने !!*


*चिकित्सा पूरी तरह एक मानवीय पेशा लेकिन धीरे धीरे यह व्यवसाय होते...!!*


तस्लीम बेनक़ाब

जिला चिकित्सालयो में लापरवाही भ्रष्टाचार एवं चिकित्सको की निजी चिकित्सा का अड्डा बनकर रह गया इस पर अंकुश लगाने के लिए कोई भी सार्थक प्रयास होते दिखाई नही दे रहें है।कुछ चिकित्साधिकारियों की उदासीनता एवं धींगा मस्ती का शिकार है।आये दिन सरकारी चिकित्सकों पर निजी चिकित्सा करने के आरोप लगे है लेकिन किसी के कान पर जूं नही रेंगती नजर आ रही है। चिकित्सा पूरी तरह एक मानवीय पेशा है लेकिन धीरे धीरे यह व्यवसाय होते चला गया है।व्यापारिक होना बुरी बात या गलत बात नहीं है लेकिन मानवीय संवेदनाओं को तार तार कर लूट खसौट करना जरूर गलत है।कुछ जिला चिकित्सालयो मे दरअसल बागडोर ही सुस्त हाथों में है तो फिर अधिनस्थो पर कानून का चाबुक या सख्ती कैसे की जा सकती है यहां उच्चअधिकारी भी कई बार चर्चाओं का शिकार रहे है आपरेशन मे लेन देन का आरोप भी लगे लेकिन कुछ नही हुआ सवाल यह है कि जब खुद उनका दामन ही पाक साफ नही है तो यह अधिकारी पर क्या खाक लगाम लगायेगें । जिला चिकित्सालयो मे तैनात कुछ चिकित्सकों की भी मनमानी इस कदर बढ गई है कि वह कब बैठते है और कब नही इसका फैसला यह स्वंय करते है। साथ ही इन्होनें अपनी निजी प्रैक्टिस के अड्डे भी चला रखे है तथा दोनो हाथो से जमकर नोट पीट रहे है समय समय पर कुछ न्यूज चैनलो ने कुछ समय पूर्व कुछ जिलों में स्टिंग आपरेशन मे जिला चिकित्सालयो के  डाक्टर की काली करतूतों का भंडा फोड किया था लेकिन उससे भी इन अधिकारियो ने कोई सबक नही सीखा!भ्रष्टाचार पूरी तरह हावी है किसी भी विभाग मे बिना पैसे के कोई काम नही होता मरीजो को धक्के खाने होते है दिक्कतो का सामना करना पडता है  लम्बी लम्बी कतार मे खडें रहते है।मरीजो को भेड बकरी की तरह खडा रहना पडता है यह पूरी तरह अवमान्य है जिला चिकित्सालयो की व्यवस्था की सम्पूर्ण एवं सुचारू रूप से चलाने में यहा के उच्चाधिकारियों भ्रष्टाचार मे लिप्त होने के कारण बेहतर व्यवस्था नही बना पा रहे है। इसके लिये सीधे तौर पर जिम्मेदार है। इनकी विफिलताओं भरी कार्यप्रणाली शासन स्तर पर तय की जानी बहुत जरूरी है। यदि ऐसे चिकित्सको की बात करें जो अस्पताल मे रहकर अपनी सेवाऐं दे रहे है तो स्पष्ट होता है कि यह मरीजो को बीमारी की गम्भीरता बताकर अच्छे इलाज के लिए अपने निजी चिकित्सालय एवं नर्सिग होम पर आने को कहते है जहॉ पर मरीजो से फिर जमकर उगाही कीजाती है यह अमानवीय एवं गैरकानूनी है लेकिन अफसोस की बात है कि इतना सब कुछ हो रहा है और किसी पर कोई असर नही है शासन सत्ता नियम कानून दीमक रूपी भ्रष्टाचार के सामने बोने पडते हुए नजर आते है!मरीज बेचारे चिकित्सा जैसे  बुनियादी हक के लिए सरकारी अस्पताल में केवल धक्के खाकर जाते हुए ज्यादा नजर आते है!सरकार को चाहिए कि जाच कमेटी बनाकर सरकारी अस्पातलों के औचक निरीक्षण आदि समय समाय पर करायें जाने चाहिए ताकि व्यवस्थाओं में कुछ तो सुधार हो सके।